राम ने दिखाई थी जनता की ताकत
यदि नेतृत्व में आत्म बल जगाने की क्षमता हो और वह संचित आक्रोश को अपना स्वर दे सके तो आततायी शक्ति भी उसके सामने घुटने टेक देती है!
भगवद गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने दैवीय शक्तियों को प्रकट कर अपना अप्रकर्तिक रूप दिखाया और कौरवो की विशाल सेना का वध संहार कराया जबकि श्री राम ने अपने मानवीय रूप को दिखाकर मानव के जैसे रावण का संहार किया!
रावण का वध राम ने जनकपुरी और अयोध्या के बिना मदद के किया. वो भी साधारण लोगो में आत्म बल जगाकर.
सुग्रीव एक राजा जरुर है लेकिन उसके पास चतुरंगिनी सेना नहीं न ही कवच वाले रथ है. सुग्रीव की सेना का निर्माण पिछड़ी जातियों के लोगो से हुआ है!
वस्तुत: यह सैन्य संघर्ष नहीं जन सामान्य का आन्दोलन मात्र ही है!
राक्षसों के खिलाफ युद्ध में लड़ने वाले सभी वानर सैनिक नहीं थे. वानर लकडियो से लड़े, पत्थरो से लड़े, दांतों से लड़े जबकि युद्ध हथियारों से लड़ा जाता है.
यानी राम की सेना में और रावण की सेना में बहुत बड़ी असामान्यता थी.
राक्षसों का वह साम्राज्य अति धनवान, बलशाली, सुविधोयुक्त और संगठित सेना वाला था. तब भी राम की सेना लड़ने चल दी यह जोश राम ने उस साधारण जनमानस में भर दिया.
ऐसा क्या था जो वानर और साधारण लोग उस विशालकाय साम्राज्य के खिलाफ उठ खड़े हुए?
वास्तव में राक्षसों और रावण में ऋषि मुनियों को ही नहीं साधारण लोगो पर भी अत्याचार किया होगा. उन्होंने आम लोगो को भी पीड़ित किया होगा तभी वो अन्याय के इस युद्ध में राम के साथ उठ खड़े हुए. आखिर ऋषि मुनि भी तो सामान्य और सज्जन लोगो के बौद्धिक प्रतिक थे. उनपर अत्याचार इस तरह किये की वो कभी अपना अधिकार मांग न सके.
सुग्रीव ने सैनिको का ही नहीं वरन आम नागरिको का भी अधिकारों का आह्वान किया तभी तो बिना कुछ तौले वानर चल पड़े.
राम ने साधारण जनमानस के ह्रदय में संचित आक्रोश को अपना स्वर दिया और आम जनता का आत्म बल जगाया जिससे वो अन्याय के खिलाफ उठ खड़े हो
दशहरा रावण दहन शोर हर और है,
जलता हर साल रावण,
फिर क्यों बुराई पाप हर ओर है?
अपह्रत होती सीता, घायल जटायु लाचार है,
आज फिर राम रावण युद्ध की दरकार है,
रावण बड़ा मायावी, राम छला जा रहा है,
पुतला जल जाता असली रावण कंही ओर है,
लंका नहीं रावण का ठिकाना, कंही ओर है,
बस बैठा लोगो के दिलो में,
पर इस बात को जानता कौन है?
नाम के पीछे जाती क बड़े बड़े नाम है,
शराब, शवाब और कबाब में जिनकी हर शाम है,
राम रावण में अबकी बार निर्णायक जंग हो,
बुराई पाप सही रावण का अंत हो,
पुतले का नहीं, दिल ओ दिमाग से रावण का अंत हो,
ना पनपे बुराई दोबारा, ऐसी धनुष की टंकार हो,
Good thoughts... liked it :-)
ReplyDeleteGood thoughts... liked it :-)
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